Property Rule : आज के समय में ज्यादातर लोग अपने जीवन की सुरक्षा और परिवार के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदना बेहतर विकल्प मानते हैं। विशेषकर टैक्स में छूट और स्टांप ड्यूटी में राहत जैसे कारणों से यह चलन काफी बढ़ गया है। लेकिन हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो हर उस व्यक्ति के लिए जानना जरूरी है जो अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदना चाहता है।
इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि Property Rule के अनुसार पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पर किसका कितना अधिकार होता है, इसके फायदे-नुकसान क्या हैं और कोर्ट का निर्णय इस पर क्या कहता है।
क्यों खरीदते हैं लोग पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी? ( Property Rule)
भारतीय समाज में पारिवारिक संरचना ऐसी है जहाँ पति पत्नी और बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा अधिकतर पुरुष के कंधों पर होता है। ऐसे में बहुत से पति अपने बच्चों और पत्नी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उनकी नाम पर प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। इसके पीछे मुख्य वजह होती है टैक्स और स्टांप ड्यूटी में मिलने वाली छूट। कई राज्य सरकारें महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में 1-2% तक की छूट देती हैं, जिससे अच्छी खासी बचत हो जाती है।
लेकिन जब बात आती है Property Rule की, तो यह समझना जरूरी हो जाता है कि ऐसा करना हर परिस्थिति में फायदेमंद नहीं होता।
Property Rule: फायदे के साथ हो सकता है बड़ा नुकसान
हालांकि पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर कुछ आर्थिक लाभ जरूर मिलते हैं, लेकिन बहुत बार यह फैसला पति के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। जब पति और पत्नी के बीच मतभेद हो जाएं या तलाक की नौबत आ जाए, तब ऐसी प्रॉपर्टी विवाद का कारण बन जाती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि अगर प्रॉपर्टी पत्नी की खुद की कमाई से नहीं खरीदी गई है, तो वह संपत्ति व्यक्तिगत नहीं मानी जाएगी बल्कि पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। यही वह अहम बिंदु है जो Property Rule के अंतर्गत आता है।
हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: किसका होता है अधिकार?
हाईकोर्ट के अनुसार, यदि कोई पति अपनी आय से पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है, और पत्नी के पास कोई स्वतंत्र और प्रमाणिक आय का स्रोत नहीं है, तो ऐसी संपत्ति को पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि उस पर न सिर्फ पत्नी बल्कि परिवार के अन्य उत्तराधिकारियों का भी अधिकार रहेगा।
दूसरे शब्दों में, यदि पत्नी के पास आय का ज्ञात स्रोत नहीं है और प्रॉपर्टी उनके नाम पर ली गई है, तो वह सिर्फ नाममात्र की मालिक होती है, कानूनी अधिकार उस संपत्ति पर उतने नहीं होते जितने आमतौर पर समझे जाते हैं।
Property Rule के अनुसार, पत्नी को क्या अधिकार नहीं मिलते?
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसी संपत्ति जिसे पति ने पत्नी के नाम पर खरीदा है और जिसमें पत्नी की खुद की कोई पूंजी नहीं लगी है, उस पर पत्नी को विक्रय, दान या गिरवी रखने का अधिकार नहीं है। यहां तक कि पति की मृत्यु के बाद भी पत्नी ऐसी संपत्ति को अपने मन मुताबिक इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक कि उसे कानूनी रूप से उत्तराधिकार प्राप्त न हो।
कोर्ट केस का उदाहरण क्या था मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सौरभ गुप्ता नामक व्यक्ति ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके दिवंगत पिता ने अपनी पत्नी (सौरभ की मां) के नाम पर एक संपत्ति खरीदी थी। अब उनकी मां उस संपत्ति को किसी तीसरे व्यक्ति को हस्तांतरित करना चाहती थीं। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि पत्नी के पास कोई स्वतंत्र आय नहीं है और संपत्ति पति की कमाई से खरीदी गई है, तो पत्नी सहस्वामिनी हो सकती हैं लेकिन पूर्ण स्वामित्व नहीं होगा।
इस उदाहरण से यह बात स्पष्ट होती है कि Property Rule के तहत ऐसी संपत्ति पर अधिकार सीमित होता है।
पति के जीवित रहते पत्नी के अधिकार
भारतीय कानून के अनुसार, जब तक पति जीवित है, पत्नी को उसकी संपत्ति पर कोई प्रत्यक्ष अधिकार नहीं होता। वह केवल उत्तराधिकारी होती है, मालिक नहीं। पति के निधन के बाद ही पत्नी को कानूनी रूप से संपत्ति में हिस्सा मिलता है। हालांकि अगर पति ने वसीयत (Will) बना रखी है, तो फिर उस संपत्ति का बंटवारा वसीयत के अनुसार होगा।
Property Rule के तहत मालिकाना हक के लिए डॉक्यूमेंट जरूरी
यदि पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी गई है, लेकिन उस पर मालिकाना हक के लिए कोई स्पष्ट दस्तावेज नहीं है, तो कानूनी प्रक्रिया में यह साबित करना मुश्किल हो सकता है कि प्रॉपर्टी वास्तव में पत्नी की ही है। इस स्थिति में बच्चे और अन्य उत्तराधिकारी भी उस पर दावा कर सकते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सारे कानूनी दस्तावेज सही तरीके से तैयार किए गए हों।
पत्नी की आय से खरीदी गई संपत्ति का क्या?
अगर किसी महिला के पास स्वतंत्र और प्रमाणिक आय का स्रोत है और उसने अपनी कमाई से प्रॉपर्टी खरीदी है, तो वह उसकी निजी संपत्ति मानी जाएगी। ऐसे में उस पर उसका पूर्ण स्वामित्व रहेगा और वह उसे बेचने, गिरवी रखने या किसी को देने के लिए स्वतंत्र होगी। इस प्रकार की संपत्ति पर परिवार के अन्य सदस्यों का कोई अधिकार नहीं होता, और यह Property Rule की मूल भावना के अनुरूप होता है।
टैक्स और स्टांप ड्यूटी की छूट: लेकिन सावधानी जरूरी
हालांकि कई राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टांप शुल्क में छूट देती हैं, लेकिन इस लाभ के पीछे की कानूनी वास्तविकता को समझना बेहद जरूरी है। केवल कुछ हजार रुपये बचाने के लिए अगर आपने पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी और आगे चलकर विवाद की स्थिति बनी, तो यह बचत भारी नुकसान में बदल सकती है।
Property Rule को समझना क्यों है जरूरी?
आज के समय में प्रॉपर्टी एक बड़ी संपत्ति होती है और उसके मालिकाना हक से जुड़े नियमों को समझना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। विशेषकर जब बात पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने की हो, तो Property Rule का गहराई से अध्ययन और कानूनी सलाह लेना अत्यंत जरूरी हो जाता है।
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पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इन बातों का जरूर ध्यान रखें:
- क्या पत्नी के पास आय का स्वतंत्र स्रोत है?
- क्या प्रॉपर्टी से जुड़े सारे दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से मालिकाना हक दर्ज है?
- क्या भविष्य में परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद की संभावना हो सकती है?
- क्या आपने किसी कानूनी सलाहकार से इस पर राय ली है?
अगर इन सभी प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक है, तभी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदना आपके लिए लाभदायक हो सकता है, अन्यथा यह एक कानूनी उलझन का कारण बन सकता है।
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